विश्व निमोनिया दिवस पर जनजागरूकता कार्यक्रम ग्राम पदमपुर में बच्चों के जीवन की रक्षा हेतु अपील के साथ सम्पन्न
“हर सांस अनमोल है, हर बच्चा सुरक्षित रहे, यही हमारा संकल्प है”- डां. मनीष बंजारा
मुंगेली- विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर ग्राम पदमपुर में विशेष जनजागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में हो रही मृत्यु दर को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना था। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने निमोनिया के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों की विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही घरों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की व उनके परिजनों को हाथ धो कर बच्चे को पाने की सलाह दी इसके साथ ही कपड़े साफ-सुथरे की रखने की सलाह दी और दूसरे के छींक व खासी से बच्चे को दूर रखने के लिए उपाय बताये और छः माह तक बच्चे को माॅ का दूध पिलाने का सुझाव दिए।
डॉ. मनीष बंजारा ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों का गंभीर संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से होता है। यह एक या दोनों फेफड़ों को संक्रमित कर देता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी मुख्य रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को प्रभावित करती है।
उन्होंने आगे कहा कि विश्व स्तर पर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण निमोनिया है। अतः आग्रह किया कि वे निमोनिया से बचाव के लिए आवश्यक टीकाकरण अवश्य करवाएं। “पेंटावैलेंट, न्यूमोकोकल और फ्लू वैक्सीन बच्चों को संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करते हैं साथ ही माता-पिता को चाहिए कि बच्चे के जन्म के छह माह तक केवल मां का दूध ही दें, जिससे उसकी प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ती है।”
धूम्रपान से बचने की जानकारी देते हुए कहा कि क्योंकि यह श्वसन संक्रमण के जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है। अपने हाथों को साबुन से नियमित रूप से धोना, खांसते या छींकते समय मुंह-नाक को ढंकना और इस्तेमाल किए गए टिश्यू को तुरंत निस्तारित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और नियमित व्यायाम से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
विश्व निमोनिया दिवस का महत्व
हर वर्ष 12 नवम्बर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य निमोनिया से होने वाली रोकी जा सकने वाली मौतों को रोकना और लोगों को जागरूक करना है। इस वर्ष 2025 की थीम “हर सांस की कीमत - बाल जीवन की रक्षा” है। जो यह संदेश देती है कि हर बच्चे को सांस लेने का अधिकार है और कोई भी बच्चा निमोनिया जैसी बीमारी से अपनी सांसें न खोए।
निमोनिया क्या है
निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, जिसमें वायु थैलियों में सूजन और मवाद भर जाता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। यह संक्रमण बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में ज्यादा होता है।
संक्रमण के कारण- बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से संक्रमण, ठंडी हवा, धूल-धुआं और प्रदूषण, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से, कुपोषण और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली से
बचाव के उपाय
1. टीकाकरण आवश्यक - पेंटावैलेंट, न्यूमोकोकल व फ्लू वैक्सीन से सुरक्षा।
2. स्तनपान जरूरी- छह माह तक केवल मां का दूध देना।
3. स्वच्छता बनाए रखें - नियमित हाथ धोना और खांसते-छींकते समय मुंह ढंकना।
4. धुआं-मुक्त रसोई - घर के अंदर धुएं से बच्चों को बचाएं।
5. संतुलित आहार और समय पर इलाज - शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाए रखें।
संदेश
कार्यक्रम के अंत में स्वास्थ्यकर्मियों ने सामूहिक रूप से संदेश दिया कि
“हर सांस अनमोल है, हर बच्चा सुरक्षित रहे, यही हमारा संकल्प है।”
इस अवसर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता ललिता साहू, किशोर उईके, मितानीन सविता साहू, सीता यादव के साथ ग्रामवासी उपस्थित रहे।